पाँव उठते हैं किसी मौज की जानिब लेकिन
रोक लेता है किनारा कि ठहर पानी है
अकरम महमूद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
सितारा आँख में दिल में गुलाब क्या रखना
कि ढलती उम्र में रंग-ए-शबाब क्या रखना
अकरम महमूद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
वक़्त कहाँ रुका भला पर ये किसे गुमान था
उम्र की ज़द में आएगा तुझ सा परी-जमाल भी
अकरम महमूद
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
अंधा सफ़र है ज़ीस्त किसे छोड़ दे कहाँ
उलझा हुआ सा ख़्वाब है ताबीर क्या करें
अकरम नक़्क़ाश
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
बार-हा तू ने ख़्वाब दिखलाए
बार-हा हम ने कर लिया है यक़ीं
अकरम नक़्क़ाश
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
बदन मल्बूस में शोला सा इक लर्ज़ां क़रीन-ए-जाँ
दिल-ए-ख़ाशाक भी शोला हुआ जलता रहा मैं भी
अकरम नक़्क़ाश
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
हवा भी चाहिए और रौशनी भी
हर इक हुज्रा दरीचा चाहता है
अकरम नक़्क़ाश
टैग:
| 2 लाइन शायरी |

