ये कौन सी जगह है ये बस्ती है कौन सी
कोई भी इस जहान में तेरे सिवा नहीं
अकरम नक़्क़ाश
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ये पूछ आ के कौन नसीबों जिया है दिल
मत देख ये कि कौन सितारा है बख़्त में
अकरम नक़्क़ाश
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बस इसी उम्मीद पे होता गया बर्बाद मैं
गर कभी बिखरा तो आ कर तू सँभालेगा मुझे
अक्स समस्तीपूरी
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बिक जाता हूँ हाथों-हाथ
हद से ज़ियादा सस्ता हूँ
अक्स समस्तीपूरी
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एक रिश्ता जिसे मैं दे न सका कोई नाम
एक रिश्ता जिसे ता-उम्र निभाए रखा
अक्स समस्तीपूरी
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जिस हवा ने मुझे जलाए रखा
फिर उसी ने बुझा दिया मुझ को
अक्स समस्तीपूरी
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कैसे तुम भूल गए हो मुझे आसानी से
इश्क़ में कुछ भी तो आसान नहीं होता है
अक्स समस्तीपूरी
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