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अगर जो प्यार ख़ता है तो कोई बात नहीं | शाही शायरी
agar jo pyar KHata hai to koi baat nahin

ग़ज़ल

अगर जो प्यार ख़ता है तो कोई बात नहीं

अक्स समस्तीपूरी

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अगर जो प्यार ख़ता है तो कोई बात नहीं
क़ज़ा ही उस की सज़ा है तो कोई बात नहीं

तू सिर्फ़ मेरी है उस का ग़ुरूर है मुझ को
अगर ये वहम मेरा है तो कोई बात नहीं

मुआ'फ़ करने की आदत नहीं है वैसे तो
अगर ये तीर तेरा है तो कोई बात नहीं

बिना बदन के तअ'ल्लुक़ बचा नहीं सकते
यही जो रस्ता बचा है तो कोई बात नहीं

हाँ मेरे बा'द किसी और का न हो जाना
तू आज मुझ से जुदा है तो कोई बात नहीं