जामा-ज़ेबों को क्यूँ तजूँ कि मुझे
घेर रखता है दौर दामन का
वली मोहम्मद वली
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जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे
उसे ज़िंदगी क्यूँ न भारी लगे
वली मोहम्मद वली
जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे
उसे ज़िंदगी क्यूँ न भारी लगे
वली मोहम्मद वली
ख़ूब-रू ख़ूब काम करते हैं
यक निगह में ग़ुलाम करते हैं
वली मोहम्मद वली
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किशन की गोपियाँ की नईं है ये नस्ल
रहें सब गोपियाँ वो नक़्ल ये अस्ल
वली मोहम्मद वली
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किशन की गोपियाँ की नईं है ये नस्ल
रहें सब गोपियाँ वो नक़्ल ये अस्ल
वली मोहम्मद वली
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मुफ़लिसी सब बहार खोती है
मर्द का ए'तिबार खोती है
वली मोहम्मद वली