आज तुझ याद ने ऐ दिलबर-ए-शीरीं-हरकात 
आह को दिल के उपर तेशा-ए-फ़रहाद किया
वली मोहम्मद वली
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                                आज तुझ याद ने ऐ दिलबर-ए-शीरीं-हरकात 
आह को दिल के उपर तेशा-ए-फ़रहाद किया
वली मोहम्मद वली
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                                आरज़ू-ए-चश्मा-ए-कौसर नईं 
तिश्ना-लब हूँ शर्बत-ए-दीदार का
वली मोहम्मद वली
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                                ऐ नूर-ए-जान-ओ-दीदा तिरे इंतिज़ार में 
मुद्दत हुई पलक सूँ पलक आश्ना नईं
वली मोहम्मद वली
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                                ऐ नूर-ए-जान-ओ-दीदा तिरे इंतिज़ार में 
मुद्दत हुई पलक सूँ पलक आश्ना नईं
वली मोहम्मद वली
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                                चाहता है इस जहाँ में गर बहिश्त 
जा तमाशा देख उस रुख़्सार का
वली मोहम्मद वली
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                                छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में 
कि ता जानूँ परी-रू की गली में
वली मोहम्मद वली
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