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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

सब बिछड़े साथी मिल जाएँ मुरझाएँ चेहरे खिल जाएँ
सब चाक दिलों के सिल जाएँ कोई ऐसा काम करो 'वाली'

वाली आसी




उन्हें भी जीने के कुछ तजरबे हुए होंगे
जो कह रहे हैं कि मर जाना चाहते हैं हम

वाली आसी




उन्हें भी जीने के कुछ तजरबे हुए होंगे
जो कह रहे हैं कि मर जाना चाहते हैं हम

वाली आसी




वहाँ हमारा कोई मुंतज़िर नहीं फिर भी
हमें न रोक कि घर जाना चाहते हैं हम

वाली आसी




ज़माना और अभी ठोकरें लगाए हमें
अभी कुछ और सँवर जाना चाहते हैं हम

वाली आसी




ज़माना और अभी ठोकरें लगाए हमें
अभी कुछ और सँवर जाना चाहते हैं हम

वाली आसी




आज तेरी भवाँ ने मस्जिद में
होश खोया है हर नमाज़ी का

वली मोहम्मद वली