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नासिर काज़मी शायरी | शाही शायरी

नासिर काज़मी शेर

76 शेर

दिल तो मेरा उदास है 'नासिर'
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है

नासिर काज़मी




दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया

नासिर काज़मी




दाएम आबाद रहेगी दुनिया
हम न होंगे कोई हम सा होगा

नासिर काज़मी




हमारे घर की दीवारों पे 'नासिर'
उदासी बाल खोले सो रही है

नासिर काज़मी




बुलाऊँगा न मिलूँगा न ख़त लिखूँगा तुझे
तिरी ख़ुशी के लिए ख़ुद को ये सज़ा दूँगा

नासिर काज़मी




भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी

नासिर काज़मी




अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ

नासिर काज़मी




अकेले घर से पूछती है बे-कसी
तिरा दिया जलाने वाले क्या हुए

नासिर काज़मी




ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी

नासिर काज़मी