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मीर तक़ी मीर शायरी | शाही शायरी

मीर तक़ी मीर शेर

120 शेर

अमीर-ज़ादों से दिल्ली के मिल न ता-मक़्दूर
कि हम फ़क़ीर हुए हैं इन्हीं की दौलत से

मीर तक़ी मीर




बाल-ओ-पर भी गए बहार के साथ
अब तवक़्क़ो नहीं रिहाई की

मीर तक़ी मीर




बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो
ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो

मीर तक़ी मीर




बारे दुनिया से रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो
ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो

मीर तक़ी मीर




बहुत कुछ कहा है करो 'मीर' बस
कि अल्लाह बस और बाक़ी हवस

मीर तक़ी मीर




बज़्म-ए-इशरत में मलामत हम निगूँ बख़्तों के तईं
जूँ हुबाब-ए-बादा साग़र सर-निगूँ हो जाएगा

मीर तक़ी मीर




बे-ख़ुदी ले गई कहाँ हम को
देर से इंतिज़ार है अपना

मीर तक़ी मीर




बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा
क़हर होता जो बा-वफ़ा होता

I sacrifice my heart upon your infidelity
were you faithful it would be a calamity

मीर तक़ी मीर




बुलबुल ग़ज़ल-सराई आगे हमारे मत कर
सब हम से सीखते हैं अंदाज़ गुफ़्तुगू का

मीर तक़ी मीर