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मीर तक़ी मीर शायरी | शाही शायरी

मीर तक़ी मीर शेर

120 शेर

आए हो घर से उठ कर मेरे मकाँ के ऊपर
की तुम ने मेहरबानी बे-ख़ानुमाँ के ऊपर

मीर तक़ी मीर




दिखाई दिए यूँ कि बे-ख़ुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले

मीर तक़ी मीर




दीदनी है शिकस्तगी दिल की
क्या इमारत ग़मों ने ढाई है

मीर तक़ी मीर




दीदनी है शिकस्तगी दिल की
क्या इमारत ग़मों ने ढाई है

मीर तक़ी मीर




देख तो दिल कि जाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है

see if it rises from the heart or from the soul it flows
does anybody know the source from where this smoke arose?

मीर तक़ी मीर




दे के दिल हम जो हो गए मजबूर
इस में क्या इख़्तियार है अपना

मीर तक़ी मीर




दावा किया था गुल ने तिरे रुख़ से बाग़ में
सैली लगी सबा की तो मुँह लाल हो गया

मीर तक़ी मीर




चश्म हो तो आईना-ख़ाना है दहर
मुँह नज़र आता है दीवारों के बीच

मीर तक़ी मीर




चमन में गुल ने जो कल दावा-ए-जमाल किया
जमाल-ए-यार ने मुँह उस का ख़ूब लाल किया

मीर तक़ी मीर