EN اردو
जोश मलीहाबादी शायरी | शाही शायरी

जोश मलीहाबादी शेर

43 शेर

आड़े आया न कोई मुश्किल में
मशवरे दे के हट गए अहबाब

जोश मलीहाबादी




आड़े आया न कोई मुश्किल में
मशवरे दे के हट गए अहबाब

जोश मलीहाबादी




आप से हम को रंज ही कैसा
मुस्कुरा दीजिए सफ़ाई से

जोश मलीहाबादी




अब ऐ ख़ुदा इनायत-ए-बेजा से फ़ाएदा
मानूस हो चुके हैं ग़म-ए-जावेदाँ से हम

जोश मलीहाबादी




अब दिल का सफ़ीना क्या उभरे तूफ़ाँ की हवाएँ साकिन हैं
अब बहर से कश्ती क्या खेले मौजों में कोई गिर्दाब नहीं

जोश मलीहाबादी




अब तक न ख़बर थी मुझे उजड़े हुए घर की
वो आए तो घर बे-सर-ओ-सामाँ नज़र आया

जोश मलीहाबादी




अल्लाह रे हुस्न-ए-दोस्त की आईना-दारियाँ
अहल-ए-नज़र को नक़्श-ब-दीवार कर दिया

जोश मलीहाबादी




बादबाँ नाज़ से लहरा के चली बाद-ए-मुराद
कारवाँ ईद मना क़ाफ़िला-सालार आया

जोश मलीहाबादी




दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया

जोश मलीहाबादी