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जोश मलीहाबादी शायरी | शाही शायरी

जोश मलीहाबादी शेर

43 शेर

अब तक न ख़बर थी मुझे उजड़े हुए घर की
वो आए तो घर बे-सर-ओ-सामाँ नज़र आया

जोश मलीहाबादी




अल्लाह रे हुस्न-ए-दोस्त की आईना-दारियाँ
अहल-ए-नज़र को नक़्श-ब-दीवार कर दिया

जोश मलीहाबादी




बादबाँ नाज़ से लहरा के चली बाद-ए-मुराद
कारवाँ ईद मना क़ाफ़िला-सालार आया

जोश मलीहाबादी




दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया

जोश मलीहाबादी




दुनिया ने फ़सानों को बख़्शी अफ़्सुर्दा हक़ाएक़ की तल्ख़ी
और हम ने हक़ाएक़ के नक़्शे में रंग भरा अफ़्सानों का

जोश मलीहाबादी




एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है

जोश मलीहाबादी




आड़े आया न कोई मुश्किल में
मशवरे दे के हट गए अहबाब

जोश मलीहाबादी




हाँ आसमान अपनी बुलंदी से होशियार
अब सर उठा रहे हैं किसी आस्ताँ से हम

जोश मलीहाबादी




हद है अपनी तरफ़ नहीं मैं भी
और उन की तरफ़ ख़ुदाई है

जोश मलीहाबादी