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इश्क शायरी | शाही शायरी

इश्क

422 शेर

जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई
दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई

शकील बदायुनी




जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील'
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया

Whenever talk of happiness I hear
My failure and frustration makes me weep

शकील बदायुनी




काफ़ी है मिरे दिल की तसल्ली को यही बात
आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया

शकील बदायुनी




कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल
मुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर

शकील बदायुनी




किस से जा कर माँगिये दर्द-ए-मोहब्बत की दवा
चारा-गर अब ख़ुद ही बेचारे नज़र आने लगे

शकील बदायुनी




कोई ऐ 'शकील' पूछे ये जुनूँ नहीं तो क्या है
कि उसी के हो गए हम जो न हो सका हमारा

But for madness what is this, can anyone divine?
I am hers forevermore, who never can be mine

शकील बदायुनी




क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें
खुल गई आँख तो ताबीर पे रोना आया

शकील बदायुनी