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दिल शायरी | शाही शायरी

दिल

292 शेर

आदमी आदमी से मिलता है
दिल मगर कम किसी से मिलता है

People meet each other, fairly frequently
But, meeting of hearts, seldom does one see

जिगर मुरादाबादी




आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना है
जब दिल में तमन्ना थी अब दिल ही तमन्ना है

जिगर मुरादाबादी




दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गए
अब यहाँ आराम ही आराम है

the heart is accustomed to sorrow and pain
in lasting comfort now I can remain

जिगर मुरादाबादी




दिल गया रौनक़-ए-हयात गई
ग़म गया सारी काएनात गई

जिगर मुरादाबादी




हाए वो राज़-ए-ग़म कि जो अब तक
तेरे दिल में मिरी निगाह में है

जिगर मुरादाबादी




हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका
मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया

जिगर मुरादाबादी




जिस दिल को तुम ने लुत्फ़ से अपना बना लिया
उस दिल में इक छुपा हुआ नश्तर ज़रूर था

जिगर मुरादाबादी