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दिल शायरी | शाही शायरी

दिल

292 शेर

दुनिया पसंद आने लगी दिल को अब बहुत
समझो कि अब ये बाग़ भी मुरझाने वाला है

जमाल एहसानी




दम-ब-दम उठती हैं किस याद की लहरें दिल में
दर्द रह रह के ये करवट सी बदलता क्या है

जमाल पानीपती




दिल की क़ीमत तो मोहब्बत के सिवा कुछ भी न थी
जो मिले सूरत-ए-ज़ेबा के ख़रीदार मिले

जमील मलिक




दिल जहाँ ले जाए दिल के साथ जाना चाहिए
इस से बढ़ कर और कोई रहनुमा होता नहीं

जमील यूसुफ़




दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते

जौन एलिया




कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है

जौन एलिया




ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में

जौन एलिया