आदमी आदमी से मिलता है
दिल मगर कम किसी से मिलता है
People meet each other, fairly frequently
But, meeting of hearts, seldom does one see
भूल जाता हूँ मैं सितम उस के
वो कुछ इस सादगी से मिलता है
I manage to forget - all her acts of cruelty
When she comes to meet me, with such humility
आज क्या बात है कि फूलों का
रंग तेरी हँसी से मिलता है
What is that today- what can the reason be?
The flower's hue resembles, your smile so faithfully
सिलसिला फ़ित्ना-ए-क़यामत का
तेरी ख़ुश-क़ामती से मिलता है
.......
.......
मिल के भी जो कभी नहीं मिलता
टूट कर दिल उसी से मिलता है
She who is mine and yet never mine will be
With only her this broken heart vests enternally
कारोबार-ए-जहाँ सँवरते हैं
होश जब बे-ख़ुदी से मिलता है
The rigours of this world, will find facility
When consciousness and stupor, are in unity
रूह को भी मज़ा मोहब्बत का
दिल की हम-साएगी से मिलता है
To cherish love's rapture, the soul's ability
Exists as the heart resides in such proximity
ग़ज़ल
आदमी आदमी से मिलता है
जिगर मुरादाबादी