EN اردو
क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़ | शाही शायरी
kya kahun tum se main ki kya hai ishq

ग़ज़ल

क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़

मीर तक़ी मीर

;

क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़
जान का रोग है बला है इश्क़

what can I say of love to thee
soul's ailment and calamity

इश्क़ ही इश्क़ है जहाँ देखो
सारे आलम में भर रहा है इश्क़

its only Love where'er you see
Love fills this world entirely

इश्क़ है तर्ज़ ओ तौर इश्क़ के तईं
कहीं बंदा कहीं ख़ुदा है इश्क़

love is the mode and style of love
it's man below and God above

इश्क़ माशूक़ इश्क़ आशिक़ है
यानी अपना ही मुब्तला है इश्क़

both lover and beloved be
love's self-involved entirely

गर परस्तिश ख़ुदा की साबित की
किसू सूरत में हो भला है इश्क़

if God's worship's true you say
then love is good in every way

दिलकश ऐसा कहाँ है दुश्मन-ए-जाँ
मुद्दई है पे मुद्दआ है इश्क़

so charming beautiful is she?
that love I seek, tho foe she be

है हमारे भी तौर का आशिक़
जिस किसी को कहीं हुआ है इश्क़

is there a paramour like me
'mongst lovers whosoever be

कोई ख़्वाहाँ नहीं मोहब्बत का
तू कहे जिंस-ए-ना-रवा है इश्क़

Love an improper thing you deem
for love does no one ever dream?

'मीर'-जी ज़र्द होते जाते हो
क्या कहीं तुम ने भी किया है इश्क़

miirji, colour's drained from you
by love, have you been smitten too?