दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते
वो जौर-ए-मुसलसल से बाज़ आ तो गए लेकिन
बे-दाद ये क्या कम है बे-दाद नहीं करते
साहिल के तमाशाई हर डूबने वाले पर
अफ़सोस तो करते हैं इमदाद नहीं करते
कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है
हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते
सहरा से बहारों को ले आए चमन वाले
और अपने गुलिस्ताँ को आबाद नहीं करते
ग़ज़ल
दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
फ़ना निज़ामी कानपुरी