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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

अजब नहीं कि हो दीवार नुक़्ता-ए-मौहूम
मकान हो कि मकीं दो दिलों का मिलना देख

सय्यद अमीन अशरफ़




अजब नहीं कि हो दीवार नुक़्ता-ए-मौहूम
मकान हो कि मकीं दो दिलों का मिलना देख

सय्यद अमीन अशरफ़




है इर्तिबात-शिकन दाएरों में बट जाना
चमन का मौजा-ए-बाद-ए-सबा से कट जाना

सय्यद अमीन अशरफ़




है ता-हद्द-ए-इम्काँ कोई बस्ती न बयाबाँ
आँखों में कोई ख़्वाब दिखाई नहीं देता

सय्यद अमीन अशरफ़




है ता-हद्द-ए-इम्काँ कोई बस्ती न बयाबाँ
आँखों में कोई ख़्वाब दिखाई नहीं देता

सय्यद अमीन अशरफ़




हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से नहीं जाने वाला
दर्द इस दीदा-ए-तर से नहीं जाने वाला

सय्यद अमीन अशरफ़




हवा का तब्सिरा ये साकिनान-ए-शहर पे था
अजीब लोग हैं पानी पे घर बनाते हैं

सय्यद अमीन अशरफ़