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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

मैं पर-शिकस्ता न था बादलों के बीच मगर
मिरी उड़ान का ज़ंजीर से लिपट जाना

सय्यद अमीन अशरफ़




मैं पर-शिकस्ता न था बादलों के बीच मगर
मिरी उड़ान का ज़ंजीर से लिपट जाना

सय्यद अमीन अशरफ़




अपने लिए भी कोई रिआयत रवा नहीं
इस मुंसिफ़ी की ख़ू ने तो सफ़्फ़ाक कर दिया

सय्यद अनवार अहमद




बोली लगी मता-ए-हुनर की तो अहल-ए-फ़न
जल्दी में अपने ख़्वाब भी नीलाम कर गए

सय्यद अनवार अहमद




बोली लगी मता-ए-हुनर की तो अहल-ए-फ़न
जल्दी में अपने ख़्वाब भी नीलाम कर गए

सय्यद अनवार अहमद




फ़क़ीह-ए-शहर से कुछ ख़ास दुश्मनी तो नहीं
फ़क़ीह-ए-शहर से लेकिन ठनी सी रहती है

सय्यद अनवार अहमद




फ़क़ीह-ए-शहर से कुछ ख़ास दुश्मनी तो नहीं
फ़क़ीह-ए-शहर से लेकिन ठनी सी रहती है

सय्यद अनवार अहमद