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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

यही दिल जिस को शिकायत है गिराँ-जानी की
यही दिल कार-गह-ए-शीशा-गिराँ होता है

सय्यद आबिद अली आबिद




यही दिल जिस को शिकायत है गिराँ-जानी की
यही दिल कार-गह-ए-शीशा-गिराँ होता है

सय्यद आबिद अली आबिद




ये हादिसा भी हुआ है कि इश्क़-ए-यार की याद
दयार-ए-क़ल्ब से बेगाना-वार गुज़री है

सय्यद आबिद अली आबिद




ये क्या तिलिस्म है दुनिया पे बार गुज़री है
वो ज़िंदगी जो सर-ए-रहगुज़ार गुज़री है

सय्यद आबिद अली आबिद




ये क्या तिलिस्म है दुनिया पे बार गुज़री है
वो ज़िंदगी जो सर-ए-रहगुज़ार गुज़री है

सय्यद आबिद अली आबिद




कुछ और कोई अब्र-ए-बहारी को न समझे
उड़ता है ये रूमाल मिरे दीदा-ए-तर का

सय्यद अाग़ा अली महर




हम दोज़ख़-ए-एहसास में जलते ही रहेंगे
ये फ़िक्र का हासिल है बसीरत की सज़ा है

सय्यद अहमद शमीम