यही दिल जिस को शिकायत है गिराँ-जानी की
यही दिल कार-गह-ए-शीशा-गिराँ होता है
सय्यद आबिद अली आबिद
यही दिल जिस को शिकायत है गिराँ-जानी की
यही दिल कार-गह-ए-शीशा-गिराँ होता है
सय्यद आबिद अली आबिद
ये हादिसा भी हुआ है कि इश्क़-ए-यार की याद
दयार-ए-क़ल्ब से बेगाना-वार गुज़री है
सय्यद आबिद अली आबिद
ये क्या तिलिस्म है दुनिया पे बार गुज़री है
वो ज़िंदगी जो सर-ए-रहगुज़ार गुज़री है
सय्यद आबिद अली आबिद
ये क्या तिलिस्म है दुनिया पे बार गुज़री है
वो ज़िंदगी जो सर-ए-रहगुज़ार गुज़री है
सय्यद आबिद अली आबिद
कुछ और कोई अब्र-ए-बहारी को न समझे
उड़ता है ये रूमाल मिरे दीदा-ए-तर का
सय्यद अाग़ा अली महर
हम दोज़ख़-ए-एहसास में जलते ही रहेंगे
ये फ़िक्र का हासिल है बसीरत की सज़ा है
सय्यद अहमद शमीम