मल्बूस ख़ुश-नुमा हैं मगर जिस्म खोखले
छिलके सजे हों जैसे फलों की दुकान पर
शकेब जलाली
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मल्बूस ख़ुश-नुमा हैं मगर जिस्म खोखले
छिलके सजे हों जैसे फलों की दुकान पर
शकेब जलाली
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मुझ से मिलने शब-ए-ग़म और तो कौन आएगा
मेरा साया है जो दीवार पे जम जाएगा
शकेब जलाली
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मुझे गिरना है तो मैं अपने ही क़दमों में गिरूँ
जिस तरह साया-ए-दीवार पे दीवार गिरे
शकेब जलाली
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न इतनी तेज़ चले सर-फिरी हवा से कहो
शजर पे एक ही पत्ता दिखाई देता है
शकेब जलाली
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न इतनी तेज़ चले सर-फिरी हवा से कहो
शजर पे एक ही पत्ता दिखाई देता है
शकेब जलाली
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प्यार की जोत से घर घर है चराग़ाँ वर्ना
एक भी शम्अ न रौशन हो हवा के डर से
शकेब जलाली
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