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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे
तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है

शकेब जलाली




यूँ तो सारा चमन हमारा है
फूल जितने भी हैं पराए हैं

शकेब जलाली




आज आँखों में कोई रात गए आएगा
आज की रात ये दरवाज़ा खुला रहने दे

शकील आज़मी




आज आँखों में कोई रात गए आएगा
आज की रात ये दरवाज़ा खुला रहने दे

शकील आज़मी




अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी

शकील आज़मी




बात से बात की गहराई चली जाती है
झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है

शकील आज़मी




बात से बात की गहराई चली जाती है
झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है

शकील आज़मी