ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे
तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है
शकेब जलाली
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यूँ तो सारा चमन हमारा है
फूल जितने भी हैं पराए हैं
शकेब जलाली
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आज आँखों में कोई रात गए आएगा
आज की रात ये दरवाज़ा खुला रहने दे
शकील आज़मी
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आज आँखों में कोई रात गए आएगा
आज की रात ये दरवाज़ा खुला रहने दे
शकील आज़मी
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अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
शकील आज़मी
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बात से बात की गहराई चली जाती है
झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है
शकील आज़मी
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बात से बात की गहराई चली जाती है
झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है
शकील आज़मी
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