कोई भूला हुआ चेहरा नज़र आए शायद
आईना ग़ौर से तू ने कभी देखा ही नहीं
शकेब जलाली
कोई इस दिल का हाल क्या जाने
एक ख़्वाहिश हज़ार तह-ख़ाने
शकेब जलाली
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कोई इस दिल का हाल क्या जाने
एक ख़्वाहिश हज़ार तह-ख़ाने
शकेब जलाली
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क्या कहूँ दीदा-ए-तर ये तो मिरा चेहरा है
संग कट जाते हैं बारिश की जहाँ धार गिरे
शकेब जलाली
लोग देते रहे क्या क्या न दिलासे मुझ को
ज़ख़्म गहरा ही सही ज़ख़्म है भर जाएगा
शकेब जलाली
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लोग देते रहे क्या क्या न दिलासे मुझ को
ज़ख़्म गहरा ही सही ज़ख़्म है भर जाएगा
शकेब जलाली
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लोग दुश्मन हुए उसी के 'शकेब'
काम जिस मेहरबान से निकला
शकेब जलाली
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