उस को किसी के वास्ते बे-ताब देखते
हम भी कभी ये मंज़र-ए-नायाब देखते
शहरयार
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वक़्त को क्यूँ भला बुरा कहिए
तुझ को होना ही था जुदा हम से
शहरयार
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वो कौन था वो कहाँ का था क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शख़्स मर गया यारो
शहरयार
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या मैं सोचूँ कुछ भी न उस के बारे में
या ऐसा हो दुनिया और बदल जाए
शहरयार
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या मैं सोचूँ कुछ भी न उस के बारे में
या ऐसा हो दुनिया और बदल जाए
शहरयार
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या तेरे अलावा भी किसी शय की तलब है
या अपनी मोहब्बत पे भरोसा नहीं हम को
शहरयार
ये इक शजर कि जिस पे न काँटा न फूल है
साए में उस के बैठ के रोना फ़ुज़ूल है
शहरयार
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