EN اردو
2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए
हम लोग ज़रा देर से बाज़ार में आए

शहरयार




उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए
हम लोग ज़रा देर से बाज़ार में आए

शहरयार




उम्र का बाक़ी सफ़र करना है इस शर्त के साथ
धूप देखें तो उसे साए से ताबीर करें

शहरयार




उम्र का लम्बा हिस्सा कर के दानाई के नाम
हम भी अब ये सोच रहे हैं पागल हो जाएँ

शहरयार




उम्र का लम्बा हिस्सा कर के दानाई के नाम
हम भी अब ये सोच रहे हैं पागल हो जाएँ

शहरयार




उम्र-सफ़र जारी है बस ये खेल देखने को
रूह बदन का बोझ कहाँ तक कब तक ढोती है

शहरयार




उस को किसी के वास्ते बे-ताब देखते
हम भी कभी ये मंज़र-ए-नायाब देखते

शहरयार