तुझ से बिछड़े हैं तो अब किस से मिलाती है हमें
ज़िंदगी देखिए क्या रंग दिखाती है हमें
शहरयार
तुझ से मिल कर भी न तन्हाई मिटेगी मेरी
दिल में रह रह के यही बात खटकती क्यूँ है
शहरयार
तुझ से मिल कर भी न तन्हाई मिटेगी मेरी
दिल में रह रह के यही बात खटकती क्यूँ है
शहरयार
तुझे भूल गया कभी याद नहीं करता तुझ को
जो बात बहुत पहले करनी थी अब की है
शहरयार
तू कहाँ है तुझ से इक निस्बत थी मेरी ज़ात को
कब से पलकों पर उठाए फिर रहा हूँ रात को
शहरयार
तू कहाँ है तुझ से इक निस्बत थी मेरी ज़ात को
कब से पलकों पर उठाए फिर रहा हूँ रात को
शहरयार
टूटी फूटी कश्तियाँ दरिया में गिर्दाब
मेरे मरने के लिए ये लम्हे नायाब
शहरयार