ये कौन उतरा पए-गश्त अपनी मसनद से
और इंतिज़ाम-ए-मकान ओ सिरा बदलने लगा
सरवत हुसैन
आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
''इक आग का दरिया है और डूब के जाना है'
सरवर आलम राज़
आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
''इक आग का दरिया है और डूब के जाना है'
सरवर आलम राज़
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
इक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला
सरवर आलम राज़
आशिक़ी की ख़ैर हो 'सरवर' कि अब इस शहर में
वक़्त वो आया है बंदे भी ख़ुदा होने लगे
सरवर आलम राज़
आशिक़ी की ख़ैर हो 'सरवर' कि अब इस शहर में
वक़्त वो आया है बंदे भी ख़ुदा होने लगे
सरवर आलम राज़
बयान क़िस्सा-ए-बेचारगी किया जाए
जो दिल की रह गई दिल में उसे कहा जाए
सरवर आलम राज़