नई नई सी आग है या फिर कौन है वो
पीले फूलों गहरे सुर्ख़ लिबादों वाली
सरवत हुसैन
नई नई सी आग है या फिर कौन है वो
पीले फूलों गहरे सुर्ख़ लिबादों वाली
सरवत हुसैन
पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर
इक कशिश महताब जैसी चेहरा-ए-दिलबर में थी
सरवत हुसैन
क़िन्दील-ए-मह-ओ-मेहर का अफ़्लाक पे होना
कुछ इस से ज़ियादा है मिरा ख़ाक पे होना
सरवत हुसैन
क़िन्दील-ए-मह-ओ-मेहर का अफ़्लाक पे होना
कुछ इस से ज़ियादा है मिरा ख़ाक पे होना
सरवत हुसैन
'सरवत' तुम अपने लोगों से यूँ मिलते हो
जैसे उन लोगों से मिलना फिर नहीं होगा
सरवत हुसैन
शहज़ादी तुझे कौन बताए तेरे चराग़-कदे तक
कितनी मेहराबें पड़ती हैं कितने दर आते हैं
सरवत हुसैन