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जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं | शाही शायरी
jine wale qaza se Darte hain

ग़ज़ल

जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं

शकील बदायुनी

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जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं
ज़हर पी कर दवा से डरते हैं

ज़ाहिदों को किसी का ख़ौफ़ नहीं
सिर्फ़ काली घटा से डरते हैं

आप जो कुछ कहें हमें मंज़ूर
नेक बंदे ख़ुदा से डरते हैं

दुश्मनों को सितम का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं

अज़्म-ओ-हिम्मत के बावजूद 'शकील'
इश्क़ की इब्तिदा से डरते हैं