क़यामत की हक़ीक़त जानता हूँ
ये इक ठोकर है मेरे फ़ित्नागर की
मुबारक अज़ीमाबादी
क़दम क़दम पे ये कहती हुई बहार आई
कि राह बंद थी जंगल की खोल दी मैं ने
मुबारक अज़ीमाबादी
फूल क्या डालोगे तुर्बत पर मिरी
ख़ाक भी तुम से न डाली जाएगी
मुबारक अज़ीमाबादी
दामन अश्कों से तर करें क्यूँ-कर
राज़ को मुश्तहर करें क्यूँ-कर
मुबारक अज़ीमाबादी
ईमान की तो ये है कि ईमान अब कहाँ
काफ़िर बना गई तिरी काफ़िर-नज़र मुझे
मुबारक अज़ीमाबादी
हज़ारों मय-कदे सर पर लिए हैं
ये बादल हैं बड़े सामान वाले
मुबारक अज़ीमाबादी
हवा बाँधते हैं जो हज़रत जिनाँ की
गली में हसीनों की आए गए हैं
मुबारक अज़ीमाबादी
हम भी दीवाने हैं वहशत में निकल जाएँगे
नज्द इक दश्त है कुछ क़ैस की जागीर नहीं
मुबारक अज़ीमाबादी
हँसी है दिल-लगी है क़हक़हे हैं
तुम्हारी अंजुमन का पूछना क्या
मुबारक अज़ीमाबादी