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न लाए ताब-ए-दीद औसान वाले | शाही शायरी
na lae tab-e-did ausan wale

ग़ज़ल

न लाए ताब-ए-दीद औसान वाले

मुबारक अज़ीमाबादी

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न लाए ताब-ए-दीद औसान वाले
तिरे जल्वे भी हैं क्या शान वाले

हज़ारों मय-कदे सर पर लिए हैं
ये बादल हैं बड़े सामान वाले

मैं उन से अपने अरमाँ कह रहा हूँ
वो कहते हैं बड़े अरमान वाले

तिरी काफ़िर-अदा ने किस को छोड़ा
कहीं ईमान से ईमान वाले

हसीनों से 'मुबारक' दब के मिलना
कि हैं वो आन वाले शान वाले