न लाए ताब-ए-दीद औसान वाले
तिरे जल्वे भी हैं क्या शान वाले
हज़ारों मय-कदे सर पर लिए हैं
ये बादल हैं बड़े सामान वाले
मैं उन से अपने अरमाँ कह रहा हूँ
वो कहते हैं बड़े अरमान वाले
तिरी काफ़िर-अदा ने किस को छोड़ा
कहीं ईमान से ईमान वाले
हसीनों से 'मुबारक' दब के मिलना
कि हैं वो आन वाले शान वाले
ग़ज़ल
न लाए ताब-ए-दीद औसान वाले
मुबारक अज़ीमाबादी