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यूँ ये बदली काली काली जाएगी | शाही शायरी
yun ye badli kali kali jaegi

ग़ज़ल

यूँ ये बदली काली काली जाएगी

मुबारक अज़ीमाबादी

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यूँ ये बदली काली काली जाएगी
पाक-बाज़ों में भी ढाली जाएगी

तौबा की रिंदों में गुंजाइश कहाँ
जब ये आएगी निकाली जाएगी

कुछ बला-नोश आ गए भट्टी में शैख़
तेरी बोतल आज ख़ाली जाएगी

फूल क्या डालोगे तुर्बत पर मिरी
ख़ाक भी तुम से न डाली जाएगी

आए भी तो वो 'मुबारक' आए क्या
जाने की तम्हीद डाली जाएगी