कहाँ क़िस्मत में इस की फूल होना
वही दिल की कली है और हम हैं
मुबारक अज़ीमाबादी
कभी दिल की कली खिली ही नहीं
ए'तिबार-ए-बहार कौन करे
मुबारक अज़ीमाबादी
कब वो आएँगे इलाही मिरे मेहमाँ हो कर
कौन दिन कौन बरस कौन महीना होगा
मुबारक अज़ीमाबादी
कब उन आँखों का सामना न हुआ
तीर जिन का कभी ख़ता न हुआ
मुबारक अज़ीमाबादी
जो उन को चाहिए वो किए जा रहे हैं वो
जो मुझ को चाहिए वो किए जा रहा हूँ मैं
मुबारक अज़ीमाबादी
आइना सामने अब आठ पहर रहता है
कहीं ऐसा न हो ये मद्द-ए-मुक़ाबिल हो जाए
मुबारक अज़ीमाबादी
जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं
दिल नहीं वो दिल नहीं वो दिल नहीं
मुबारक अज़ीमाबादी
जो लड़खड़ाए क़दम मय-कदे में मस्तों के
बग़ल में हज़रत-ए-नासेह थे बढ़ के थाम लिया
मुबारक अज़ीमाबादी
जो दिल-नशीं हो किसी के तो इस का क्या कहना
जगह नसीब से मिलती है दिल के गोशों में
मुबारक अज़ीमाबादी