मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब
निहायत अक़ीदत से पढ़ता रहा
मोहम्मद अल्वी
मरने के डर से और कहाँ तक जियेगा तू
जीने के दिन तमाम हुए इंतिक़ाल कर
मोहम्मद अल्वी
मौत भी दूर बहुत दूर कहीं फिरती है
कौन अब आ के असीरों को रिहाई देगा
मोहम्मद अल्वी
मौत न आई तो 'अल्वी'
छुट्टी में घर जाएँगे
मोहम्मद अल्वी
मिला हमें बस एक ख़ुदा
और वो भी बेदर्द मिला
मोहम्मद अल्वी
मिरे होने ने मुझ को मार डाला
नहीं था तो बहुत महफ़ूज़ था मैं
मोहम्मद अल्वी
मुँह-ज़बानी क़ुरआन पढ़ते थे
पहले बच्चे भी कितने बूढ़े थे
मोहम्मद अल्वी
मुतमइन है वो बना कर दुनिया
कौन होता हूँ मैं ढाने वाला
मोहम्मद अल्वी
नहा कर भीगे बालों को सुखाती
छतों पर लड़कियाँ अच्छी लगी हैं
मोहम्मद अल्वी