नया साल दीवार पर टाँग दे
पुराने बरस का कैलेंडर गिरा
मोहम्मद अल्वी
नज़रों से नापता है समुंदर की वुसअतें
साहिल पे इक शख़्स अकेला खड़ा हुआ
मोहम्मद अल्वी
ऑफ़िस में भी घर को खुला पाता हूँ मैं
टेबल पर सर रख कर सो जाता हूँ मैं
मोहम्मद अल्वी
पहली बूँद गिरी टिप से
फिर सब कुछ पानी में था
मोहम्मद अल्वी
पर तोल के बैठी है मगर उड़ती नहीं है
तस्वीर से चिड़िया को उड़ा देना चाहिए
मोहम्मद अल्वी
परिंदे दूर फ़ज़ाओं में खो गए 'अल्वी'
उजाड़ उजाड़ दरख़्तों पे आशियाने थे
मोहम्मद अल्वी
रात कौन आया था
कर गया सहर रौशन
मोहम्मद अल्वी
रात मिली तन्हाई मिली और जाम मिला
घर से निकले तो क्या क्या आराम मिला
मोहम्मद अल्वी
रात पड़े घर जाना है
सुब्ह तलक मर जाना है
मोहम्मद अल्वी