सच कहाँ कहता है जाने वाला
ख़ूब पछताएगा आने वाला
रात और दिन का तसलसुल क्या है
एक चक्कर है थकाने वाला
मुतमइन है वो बना कर दुनिया
कौन होता हूँ मैं ढाने वाला
सुब्ह से खोद रहा हूँ घर को
ख़्वाब देखा है ख़ज़ाने वाला
थक गया था तो ज़रा रुक जाता
मेरी तस्वीर बनाने वाला
दिल में इस दर्जा ख़मोशी क्यूँ है
क्या हुआ शोर मचाने वाला
शर्म से डूब मरेगा 'अल्वी'
ख़ुश कहाँ होगा सताने वाला
ग़ज़ल
सच कहाँ कहता है जाने वाला
मोहम्मद अल्वी