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सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़ शायरी | शाही शायरी

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़ शेर

9 शेर

अब्र का साया ओ सब्ज़ा राह का
जान-ए-मन रथ की सवारी याद है

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़




जो कहिए उस के हक़ में कम है बे-शक
परी है हूर है रूह-उल-अमीं है

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़




करे रश्क-ए-गुलिस्ताँ दिल को 'फ़ाएज़'
मिरा साजन बहार-ए-अंजुमन है

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़




मैं ने कहा कि घर चलेगी मेरे साथ आज
कहने लगी कि हम सूँ न कर बात तू बुरी

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़




पानी होवे आरसी उस मुख को देख
ज़ोहरा उसे क्या कि इक़ामत करे

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़




रात दिन तू रहे रक़ीबाँ-संग
देखना तेरा मुझ मुहाल हुआ

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़




तुझ को है हम से जुदाई आरज़ू
मेरे दिल में शौक़ है दीदार का

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़




उश्शाक़ जाँ-ब-कफ़ खड़े हैं तेरे आस-पास
ऐ दिल-रुबा-ए-ग़ारत-ए-जाँ अपने फ़न में आ

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़




वही क़द्र 'फ़ाएज़' की जाने बहुत
जिसे इश्क़ का ज़ख़्म कारी लगे

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़