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नुशूर वाहिदी शायरी | शाही शायरी

नुशूर वाहिदी शेर

31 शेर

अग़्यार को गुल-पैरहनी हम ने अता की
अपने लिए फूलों का कफ़न हम ने बनाया

नुशूर वाहिदी




अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई

नुशूर वाहिदी




बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता है
ये फल पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए

नुशूर वाहिदी




दौलत का फ़लक तोड़ के आलम की जबीं पर
मज़दूर की क़िस्मत के सितारे निकल आए

नुशूर वाहिदी




दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है

the lamp's extinguised but someone's heart

नुशूर वाहिदी




दुनिया की बहारों से आँखें यूँ फेर लीं जाने वालों ने
जैसे कोई लम्बे क़िस्से को पढ़ते पढ़ते उकता जाए

नुशूर वाहिदी




एक रिश्ता भी मोहब्बत का अगर टूट गया
देखते देखते शीराज़ा बिखर जाता है

नुशूर वाहिदी




गुनाहगार तो रहमत को मुँह दिखा न सका
जो बे-गुनाह था वो भी नज़र मिला न सका

नुशूर वाहिदी




है शाम अभी क्या है बहकी हुई बातें हैं
कुछ रात ढले साक़ी मय-ख़ाना सँभलता है

नुशूर वाहिदी