EN اردو
नुशूर वाहिदी शायरी | शाही शायरी

नुशूर वाहिदी शेर

31 शेर

दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है

the lamp's extinguised but someone's heart

नुशूर वाहिदी




दौलत का फ़लक तोड़ के आलम की जबीं पर
मज़दूर की क़िस्मत के सितारे निकल आए

नुशूर वाहिदी




बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता है
ये फल पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए

नुशूर वाहिदी




अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई

नुशूर वाहिदी