अजब बहार दिखाई लहू के छींटों ने
ख़िज़ाँ का रंग भी रंग-ए-बहार जैसा था
जुनैद हज़ीं लारी
देखा नहीं वो चाँद सा चेहरा कई दिन से
तारीक नज़र आती है दुनिया कई दिन से
जुनैद हज़ीं लारी
दूर साहिल से कोई शोख़ इशारा भी नहीं
डूबने वाले को तिनके का सहारा भी नहीं
जुनैद हज़ीं लारी
ग़ैरों की शिकस्ता हालत पर हँसना तो हमारा शेवा था
लेकिन हुए हम आज़ुर्दा बहुत जब अपने घर की बात चली
जुनैद हज़ीं लारी
ग़म दे गया नशात-ए-शनासाई ले गया
वो अपने साथ अपनी मसीहाई ले गया
जुनैद हज़ीं लारी
इक शम-ए-आरज़ू की हक़ीक़त ही क्या मगर
तूफ़ाँ में हम चराग़ जलाए हुए तो हैं
जुनैद हज़ीं लारी
इश्क़ है जी का ज़ियाँ इश्क़ में रक्खा क्या है
दिल-ए-बर्बाद बता तेरी तमन्ना क्या है
जुनैद हज़ीं लारी
कभी इस राह से गुज़रे वो शायद
गली के मोड़ पर तन्हा खड़ा हूँ
जुनैद हज़ीं लारी
कलियों में ताज़गी है न फूलों में बास है
तेरे बग़ैर सारा गुलिस्ताँ उदास है
जुनैद हज़ीं लारी