दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते
फ़ना निज़ामी कानपुरी
हम हैं उस के ख़याल की तस्वीर
जिस की तस्वीर है ख़याल अपना
फ़ानी बदायुनी
मैं इक थका हुआ इंसान और क्या करता
तरह तरह के तसव्वुर ख़ुदा से बाँध लिए
फ़ाज़िल जमीली
मेरे पहलू में तुम आओ ये कहाँ मेरे नसीब
ये भी क्या कम है तसव्वुर में तो आ जाते हो
ग़ुलाम भीक नैरंग
न होगा कोई मुझ सा महव-ए-तसव्वुर
जिसे देखता हूँ समझता हूँ तू है
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें
आ गए याद कई नाम हसीनाओं के
हबीब जालिब
तसव्वुर में भी अब वो बे-नक़ाब आते नहीं मुझ तक
क़यामत आ चुकी है लोग कहते हैं शबाब आया
हफ़ीज़ जालंधरी