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क्या छुपाते किसी से हाल अपना | शाही शायरी
kya chhupate kisi se haal apna

ग़ज़ल

क्या छुपाते किसी से हाल अपना

फ़ानी बदायुनी

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क्या छुपाते किसी से हाल अपना
जी ही जब हो गया निढाल अपना

हम हैं उस के ख़याल की तस्वीर
जिस की तस्वीर है ख़याल अपना

वो भी अब ग़म को ग़म समझते हैं
दूर पहुँचा मगर मलाल अपना

तू ने रख ली गुनाहगार की शर्म
काम आया न इंफ़िआल अपना

देख दिल की ज़मीं लरज़ती है
याद-ए-जानाँ क़दम संभाल अपना

बा-ख़बर हैं वो सब की हालत से
लाओ हम पूछ लें न हाल अपना

मौत भी तो न मिल सकी 'फ़ानी'
किस से पूरा हुआ सवाल अपना