प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है
हस्तीमल हस्ती
तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं
जान बहुत शर्मिंदा हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं
तो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं
इफ़्तिख़ार मुग़ल
इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो
थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो
इफ़्तिख़ार नसीम
आज की शाम गुज़ारेंगे हम छतरी में
बारिश होगी ख़बरें सुन कर आया हूँ
इलियास बाबर आवान
हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते
अब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते
इक़बाल अज़ीम
देखूँ तिरे हाथों को तो लगता है तिरे हाथ
मंदिर में फ़क़त दीप जलाने के लिए हैं
जाँ निसार अख़्तर