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प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है | शाही शायरी
pyar ka pahla KHat likhne mein waqt to lagta hai

ग़ज़ल

प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है

हस्तीमल हस्ती

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प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है

जिस्म की बात नहीं थी उन के दिल तक जाना था
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है

गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी
लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है

हम ने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँड लिया लेकिन
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है