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मोहब्बत शायरी | शाही शायरी

मोहब्बत

406 शेर

मोहब्बत में कठिन रस्ते बहुत आसान लगते थे
पहाड़ों पर सुहुलत से चढ़ा करते थे हम दोनों

हसन अब्बासी




वफ़ा परछाईं की अंधी परस्तिश
मोहब्बत नाम है महरूमियों का

हसन अकबर कमाल




इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हम
कुछ इस गुनाह की भी सज़ा है तुम्हारे पास

हसरत मोहानी




वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

fealty I seek from you, O my faithless friend
behold my innocence and, see what I intend

हसरत मोहानी




प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है

हस्तीमल हस्ती




सुना है ख़्वाब मुकम्मल कभी नहीं होते
सुना है इश्क़ ख़ता है सो कर के देखते हैं

हुमैरा राहत




अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले
दश्त पड़ता है मियाँ इश्क़ में घर से पहले

इब्न-ए-इंशा