है तन्हाई में बहना आँसुओं का
सबब चेहरों की इन शादाबियों का
ब-ज़ाहिर मैं भी ख़ुश और तू भी मसरूर
मगर देखे कोई आलम दिलों का
वफ़ा परछाईं की अंधी परस्तिश
मोहब्बत नाम है महरूमियों का
है अपनी ज़िंदगी जितना पुराना
तअल्लुक़ आँख से वीरानियों का
हर इक चेहरे पे है तहरीर ग़म की
ज़रूरी तो नहीं खुलना लबों का
ये मैं हूँ या कोई मासूम बच्चा
तआक़ुब कर रहा है तितलियों का
'कमाल' अब ख़ुद भटकता फिर रहा है
तमन्नाई था उड़ती ख़ुशबुओं का
ग़ज़ल
है तन्हाई में बहना आँसुओं का
हसन अकबर कमाल