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दुनिया शायरी | शाही शायरी

दुनिया

68 शेर

हाथ दुनिया का भी है दिल की ख़राबी में बहुत
फिर भी ऐ दोस्त तिरी एक नज़र से कम है

इदरीस बाबर




दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभी दुनिया की तरफ़
एक ने अज्र दिया एक ने उजरत नहीं दी

इफ़्तिख़ार आरिफ़




दुनिया बदल रही है ज़माने के साथ साथ
अब रोज़ रोज़ देखने वाला कहाँ से लाएँ

इफ़्तिख़ार आरिफ़




रास आने लगी दुनिया तो कहा दिल ने कि जा
अब तुझे दर्द की दौलत नहीं मिलने वाली

इफ़्तिख़ार आरिफ़




उमीद-ओ-बीम के मेहवर से हट के देखते हैं
ज़रा सी देर को दुनिया से कट के देखते हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़




ये सारी जन्नतें ये जहन्नम अज़ाब ओ अज्र
सारी क़यामतें इसी दुनिया के दम से हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़




माशूक़ों से उम्मीद-ए-वफ़ा रखते हो 'नासिख़'
नादाँ कोई दुनिया में नहीं तुम से ज़ियादा

इमाम बख़्श नासिख़