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दुनिया शायरी | शाही शायरी

दुनिया

68 शेर

दुनिया तो सीधी है लेकिन दुनिया वाले
झूटी सच्ची कह के उसे बहकाते होंगे

कालीदास गुप्ता रज़ा




हम कि अपनी राह का पत्थर समझते हैं उसे
हम से जाने किस लिए दुनिया न ठुकराई गई

ख़ुर्शीद रिज़वी




दुनिया बहुत ख़राब है जा-ए-गुज़र नहीं
बिस्तर उठाओ रहने के क़ाबिल ये घर नहीं

लाला माधव राम जौहर




देखो दुनिया है दिल है
अपनी अपनी मंज़िल है

महबूब ख़िज़ां




कोई दिन और ग़म-ए-हिज्र में शादाँ हो लें
अभी कुछ दिन में समझ जाएँगे दुनिया क्या है

महमूद अयाज़




दुनिया है सँभल के दिल लगाना
याँ लोग अजब अजब मिलेंगे

मीर हसन




लाई है कहाँ मुझ को तबीअत की दो-रंगी
दुनिया का तलबगार भी दुनिया से ख़फ़ा भी

मिद्हत-उल-अख़्तर