दुनिया तो सीधी है लेकिन दुनिया वाले
झूटी सच्ची कह के उसे बहकाते होंगे
कालीदास गुप्ता रज़ा
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हम कि अपनी राह का पत्थर समझते हैं उसे
हम से जाने किस लिए दुनिया न ठुकराई गई
ख़ुर्शीद रिज़वी
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दुनिया बहुत ख़राब है जा-ए-गुज़र नहीं
बिस्तर उठाओ रहने के क़ाबिल ये घर नहीं
लाला माधव राम जौहर
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देखो दुनिया है दिल है
अपनी अपनी मंज़िल है
महबूब ख़िज़ां
कोई दिन और ग़म-ए-हिज्र में शादाँ हो लें
अभी कुछ दिन में समझ जाएँगे दुनिया क्या है
महमूद अयाज़
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दुनिया है सँभल के दिल लगाना
याँ लोग अजब अजब मिलेंगे
मीर हसन
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लाई है कहाँ मुझ को तबीअत की दो-रंगी
दुनिया का तलबगार भी दुनिया से ख़फ़ा भी
मिद्हत-उल-अख़्तर