दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है
the lamp's extinguised but someone's heart
नुशूर वाहिदी
न जाने कौन सा आसेब दिल में बस्ता है
कि जो भी ठहरा वो आख़िर मकान छोड़ गया
परवीन शाकिर
'क़मर' किसी से भी दिल का इलाज हो न सका
हम अपना दाग़ दिखाते रहे ज़माने को
क़मर जलालवी
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं
क़तील शिफ़ाई
न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा मगर दिल टूट जाएँगे
राजेन्द्र कृष्ण
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
साहिर लुधियानवी
यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना
तिरी याद तो बन गई इक बहाना
साहिर लुधियानवी