दिल की लहरों का तूल-ओ-अर्ज़ न पूछ
कभू दरिया कभू सफ़ीना है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
दिल उस की तार-ए-ज़ुल्फ़ के बल में उलझ गया
सुलझेगा किस तरह से ये बिस्तार है ग़ज़ब
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
इतना मैं इंतिज़ार किया उस की राह में
जो रफ़्ता रफ़्ता दिल मिरा बीमार हो गया
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
जो जी में आवे तो टुक झाँक अपने दिल की तरफ़
कि उस तरफ़ को इधर से भी राह निकले है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ
धोना वही जो दिल की सियाही को धोइए
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मैं जितना ढूँढता हूँ उस को उतना ही नहीं पाता
किधर है किस तरफ़ है और कहाँ है दिल ख़ुदा जाने
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
न कुछ सितम से तिरे आह आह करता हूँ
मैं अपने दिल की मदद गाह गाह करता हूँ
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम